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Tuesday, July 28, 2009

तमन्ना.....

बड़ी तमन्ना है कोई शाम ऐसी भी तो हो...
तू सामने बैठी हो शमा जलती रहे...
निगाहें एक दूजे के दिलो तक पहुचे,
हर एक साँस पे कोई आरजू मचलती रहे...

फ़िर कुछ ऐसा हो अपने हाथों में ले के हाथ तेरा...
तुझसे मुहब्बत का में इज़हार करू,
नज़र झुका के तू अपनी रज़ा दे मुझको,,
तुझको बाहों में लू, और तुझको प्यार करू,

तेरी बाहों में आ के भूल जाऊं में,
ख़ुद को, जमाने को, अपने हर गम को...
ऐसा दिलकश हो समा, मुहब्बत की बात चलती रहे...
तू सामने बैठी हो, शम्मा जलती रहे...

तेरे उलझे गेसुओं को सुलझाऊं  कभी,
तेरी अदाओं  में ख़ुद कभी उलझ जाऊं ,
तेरी आँखों  में ख़ुद को तलाश  करू,
ये तलाश  तमाम  उम्र  चलती  रहे...
तू सामने बैठी हो... शम्मा जलती रहे...

अविनाश ....

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