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Thursday, September 9, 2010

कैसे कैसे

किये जा रहा बेरहम कैसे कैसे...
नन्ही सी जां पे सितम कैसे कैसे...

किया वादा तोड़े , ना कहके वो आये..
सहते हैं धोखे, हम कैसे कैसे...

बेख्वाब आँखें , ज़माने के ताने..
पाए हैं हमने अलम कैसे कैसे..
तुम्हारी मुहब्बत की रहगुज़र में..
हमने उठाये कदम कैसे कैसे...

यादें तुम्हारी लगे है हकीक़त ..
होते है दिल को वहम कैसे कैसे ...

अवि...

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..