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Thursday, September 9, 2010

बहोत है इतनी तसल्ली

चलो मुद्दत का इंतज़ार रंग लाया तो सही...
तुम्हारे लब पे मेरा नाम आज आया तो सही...

मेरी कोशिश , मेरे ज़ज्बात को अंजाम मिल गया...
याद करके मुझे फिर कोई मुस्कुराया तो सही...
मेरी दुनिया पे फैले थे , तीरगी के अब्र ..
हाथ आया न सही, चाँद नज़र आया तो सही..

बहोत है इतनी तसल्ली के मेरा हाल देखकर
तुम्हे कोई शेर याद आया तो सही...
अविनाश

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