Followers

Labels

Thursday, May 7, 2009

अब्बा....

आंखों में पसरा सूनापन, तन्हाई की सूरत अब्बा ॥
दो पैरो पे चलती फिरती, एक खामोश मुहब्बत अब्बा॥

छोटा कद , लेकिन दिल से ऊंचे पूरे कद्दावर॥
रिश्तों की खातिर अपना सब कुछ देने की आदत अब्बा...
गर्मी के मौसम की जैसे कोई मस्त दुपहरी या ....
कड़ी धुप में घने पेड़ की छाया जैसी राहत अब्बा...

चूल्हे में जलती लकड़ी, दीवारों पे छत का साया...
अंधेरों को रोशन करती, दिए की लौ की जीनत अब्बा...

मेरे महलों की नीवों में उनके सारे सपने हैं,
मेरी मेहनत  मेरी कीमत इज्ज़त और इबादत अब्बा....
अवि....

0 comments: