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Tuesday, May 26, 2009

मेरी ज़रूरत

मेरी जिन्दगी की जरुरत है छोटी
तेरे कांधे का तिल, तेरे हाथो की रोटी...
कोई आरजू भी मुकम्मिल न होती,
मुहब्बत न होती , जो तुम न होती...

क्यों साँस चलती, दिल क्यों धड़कता...
निगाहें यू ख्वाबो की फसलें क्यों बोती...

न महलों की रंगत न कोई दौलत॥
न सोना न चांदी न हिरा न मोती...

मेरी जिन्दगी की जरुरत है छोटी...
तेरे कांधे का तिल... तेरे हाथों की रोटी....

Avi.....

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