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Tuesday, August 31, 2010

महफ़िल हुई तमाम

महफ़िल हुई तमाम सितारे सहर की ओर चले,
हम भी लडखडाते कदमो से , अपने घर की ओर चले...

एक तेरी ना-मौजूदगी , उस पे शब्-ए-गम के सितम, '
तो खुद से होकर बेखबर जाने किधर की ओर चले...

राहें हो मुश्किल तो अपना घर ही अच्छा लगता है...
डूबता सूरज देखकर, परिंदे शजर की ओर चले...

अविनाश....

4 comments:

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

DR.ASHOK KUMAR said...

बहुत सुन्दर पँक्तियाँ , अद्भूत और लाजबाव लगी। बधाई! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।............गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।

Patali-The-Village said...

बहुत अच्छे| धन्यवाद|

Jayram Viplav said...

नमस्कार ! आपकी यह पोस्ट जनोक्ति.कॉम के स्तम्भ "ब्लॉग हलचल " में शामिल की गयी है | अपनी पोस्ट इस लिंक पर देखें http://www.janokti.com/category/ब्लॉग-हलचल/