Followers

Labels

Thursday, April 30, 2009

खूब...

तुमने भी उलझाया खूब......
मर्ज़.ऐ.इश्क लगाया खूब...
हमको ख्वाब दिखाए खूब...
रातों को जगाया खूब...
दांव पेंच यु इश्क के सीखे...
पाया सिफर, गवाया खूब...
मेरे लब से आहें निकली,
उसके लब पे आया " खूब॥"
कैसे निकले इनसे बच कर...
यादो ने जाल बिछाया खूब...
अविनाश...

0 comments: