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Thursday, April 30, 2009
तुम्हे याद तोः होगा...
एक रोज़ अकेली राहो पे...
एक फूल तुम्हे मैंने सौपा था ...
वो किसी किताब के पन्नो में...
अब भी महक रहा होगा...
तुम्हे याद तोः होगा...
एक रात तुम्हारे ख्वाबो में
कोई आ के चुपके से लौट गया...
तुम सोच सोच कर हार गई
वो कौन होगा...
तुम्हे याद तोः होगा...
एक रोज़ तुम्हारे होटों पे ...
मैंने अपने होंट रक्खे...
लब खोले बिना सब कह डाला,
दिल ने तेरे सुना होगा....
तुम्हे याद तोः होगा....
अविनाश
एक रोज़ अकेली राहो पे...
एक फूल तुम्हे मैंने सौपा था ...
वो किसी किताब के पन्नो में...
अब भी महक रहा होगा...
तुम्हे याद तोः होगा...
एक रात तुम्हारे ख्वाबो में
कोई आ के चुपके से लौट गया...
तुम सोच सोच कर हार गई
वो कौन होगा...
तुम्हे याद तोः होगा...
एक रोज़ तुम्हारे होटों पे ...
मैंने अपने होंट रक्खे...
लब खोले बिना सब कह डाला,
दिल ने तेरे सुना होगा....
तुम्हे याद तोः होगा....
अविनाश
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