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Wednesday, April 29, 2009
बे मतलब की बातों से तो खूब भली है खामोशी,
मैंने अपनी लिए, तुम्हारे बाद चुनी है खामोशी...
ना कहती, ना सुनती है बस साथ में चलती जाती है....
मुझको बिल्कुल अपने साए सी लगती है खामोशी॥
कितने किस्से कितने शिकवे कितनी बात बताती है॥
लेकिन जब भी आई हो तुम, साथ रही है खामोशी...
आइना दिखलाया मुझको और फ़िर ये अलफ़ाज़ कहे...
अच्छे से पहचान लो इसको , यूँ दिखती है खामोशी...
जो बात जुबां कह ना पाई , वो बात तुम्हे बतलाने को..
सीने में पिघली , आँखों से निकली है खामोशी ...
अविनाश...
मैंने अपनी लिए, तुम्हारे बाद चुनी है खामोशी...
ना कहती, ना सुनती है बस साथ में चलती जाती है....
मुझको बिल्कुल अपने साए सी लगती है खामोशी॥
कितने किस्से कितने शिकवे कितनी बात बताती है॥
लेकिन जब भी आई हो तुम, साथ रही है खामोशी...
आइना दिखलाया मुझको और फ़िर ये अलफ़ाज़ कहे...
अच्छे से पहचान लो इसको , यूँ दिखती है खामोशी...
जो बात जुबां कह ना पाई , वो बात तुम्हे बतलाने को..
सीने में पिघली , आँखों से निकली है खामोशी ...
अविनाश...
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