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Tuesday, August 31, 2010

साँसों को थाम रक्खा है कर कर के बहाने कितने.

साँसों को थाम रक्खा है कर कर के बहाने कितने...
तुम ना आये , आये गए ज़माने कितने....

दिल में तेरा ख़याल, आँखों में है सूरत तेरी..
तू ना हो तो, हैं मेरी ज़िन्दगी के म.आने कितने...

हर लब पे तेरा चर्चा, हर महफ़िल में तेरे किस्से...
जाने इस जहाँ में है तेरे चाहने वाले कितने...

अविनाश

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