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Sunday, August 29, 2010

Realization...

छत पर बैठा दूर फलक में देख रहा हूँ....
एक चाँद है, एक सितारा....
और हजारों मील की दूरी....

बिल्कुल जैसे कमरे के एक कोने में तुम
बिल्कुल जैसे कमरे के एक कोने में मैं...
बीच में पसरी रस्मो रिवाजों की मजबूरी...

अजब बात है, कोई जहाँ हो...
मुश्किलें मुहब्बत का साया ही है...

अविनाश...

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